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Punjab news: सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद जवाहरके गाँव में पंचायत का अनोखा प्रस्ताव, विवाह पर प्रतिबंध

Punjab news: पंजाब के मानसा जिले के जवाहरके गाँव में दो साल पहले प्रसिद्ध पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की निर्मम हत्या हुई थी। इस घटना के बाद अब इस गाँव की ग्राम पंचायत ने एक ऐसा प्रस्ताव पारित किया है, जो क्षेत्रीय समाज में काफी चर्चा का विषय बन गया है। यह प्रस्ताव खासतौर पर गाँव में लड़कों और लड़कियों के आपसी विवाह को लेकर है।

गाँव में आपसी विवाह पर प्रतिबंध

जवाहरके गाँव की पंचायत ने अपने गाँव के लड़कों और लड़कियों के आपस में विवाह करने पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पास किया है। पंचायत का मानना है कि इस तरह के विवाहों से समाज में एक नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, और यह भाईचारे की भावना को कमजोर कर रहा है। पंचायत के अनुसार, यह विवाह अब एक सामान्य बात बन गई है, जिससे गाँव की सामाजिक संरचना पर गहरा असर पड़ रहा है।

Punjab news: सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद जवाहरके गाँव में पंचायत का अनोखा प्रस्ताव, विवाह पर प्रतिबंध

ग्राम पंचायत का यह भी कहना है कि अब से यदि किसी लड़के और लड़की ने गाँव में ही आपस में विवाह किया, तो उन्हें गाँव से बहिष्कृत कर दिया जाएगा और उनके साथ किसी प्रकार का सामाजिक संबंध नहीं रखा जाएगा। पंचायत ने यह भी साफ किया कि जो लोग बाहरी स्थानों से आकर गाँव में शादी करते हैं, उन्हें भी अब यहाँ रहने की अनुमति नहीं होगी।

नशे के खिलाफ प्रस्ताव

इसके साथ ही पंचायत ने एक और प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें नशे के सेवन और उसकी तस्करी में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। यदि कोई व्यक्ति नशे के आदतों वाले व्यक्ति की मदद करता है या ड्रग्स बेचता है, तो पंचायत ने इस व्यक्ति को भी सामाजिक बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि पंचायत का कोई भी सदस्य यदि नशे के तस्करों या उपभोक्ताओं के साथ समर्थन करता है, तो उसकी जिम्मेदारी खुद उस सदस्य की होगी, पंचायत पर इसका कोई बोझ नहीं होगा।

गाँव में भाई-बहन जैसी भावना का महत्व

ग्राम पंचायत की सरपंच रणवीर कौर ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि गाँव में यह परंपरा रही है कि लड़कियों को बहन और लड़कों को भाई माना जाता है। इसी विचारधारा को बनाए रखने के लिए पंचायत ने यह कदम उठाया है। उन्होंने बताया कि गाँव में अगर लड़के-लड़की आपस में शादी करते हैं तो यह समाज के लिए अनैतिक माना जाता है। इसलिए पंचायत ने यह निर्णय लिया है कि ऐसे विवाहों को सख्ती से रोका जाएगा और इनसे जुड़े लोगों के साथ कोई संबंध नहीं रखा जाएगा।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रस्ताव का कोई संबंध प्रवासी श्रमिकों से नहीं है। पंचायत ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के लिए इस प्रस्ताव में कोई प्रतिबंध नहीं है, और उन्हें समाज से बाहर करने की कोई योजना नहीं है।

सिद्धू मूसेवाला की हत्या और उसका प्रभाव

सिद्धू मूसेवाला की हत्या की घटना ने पूरे पंजाब को हिलाकर रख दिया था। 29 मई 2022 को जब सिद्धू मूसेवाला अपने दोस्तों के साथ अपनी थार कार में जा रहे थे, तो जवाहरके गाँव के पास उनके ऊपर गोलीबारी की गई थी। यह हत्या उनके काफिले का पीछा कर रहे शूटरों ने की थी। इस हत्या के बाद गाँव और पूरे पंजाब में शोक की लहर दौड़ गई थी। हालांकि, मूसेवाला का पैतृक गाँव मूसा है, लेकिन उनकी हत्या जवाहरके गाँव में हुई थी, और इस घटना ने इस गाँव के सामाजिक ताने-बाने को भी प्रभावित किया था।

पंचायत का फैसला और समाज पर असर

ग्राम पंचायत का यह निर्णय गाँव के समाजिक ढांचे में एक नया बदलाव ला सकता है। पंचायत का मानना है कि अगर लोग अपने परिवार से बाहर जाकर विवाह करेंगे, तो इससे गाँव के अंदर भाईचारे की भावना बनी रहेगी। वहीं, इस प्रस्ताव से यह भी संदेश जाएगा कि पंचायत समाज की कुरीतियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने के लिए तैयार है।

वहीं, कुछ गाँववासियों का मानना है कि इस प्रकार के फैसले से गाँव में एकता और भाईचारा बढ़ेगा। उनका कहना है कि इससे अनावश्यक विवादों को भी रोका जा सकेगा। हालांकि, कुछ लोगों ने इस फैसले को असहमति भी जताई है। उनका कहना है कि यह फैसले व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर सवाल उठाते हैं और इससे समाज में असहमति पैदा हो सकती है।

आगे का रास्ता

गाँव में इस तरह के फैसले के बाद अब यह देखना होगा कि इस प्रस्ताव का समाज पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ता है। क्या यह पंचायत का कदम समाज में सकारात्मक बदलाव लाएगा, या फिर यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और विवाह के अधिकार पर अंकुश लगाएगा, इसका समय ही बताएगा। पंचायत ने नशे के खिलाफ कड़े कदम उठाने का फैसला किया है, और इस निर्णय से एक सशक्त समाज की स्थापना की उम्मीद की जा रही है।

सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद जवाहरके गाँव में हुई इस पंचायत की बैठक ने समाज को एक नई दिशा दी है। पंचायत का यह कदम कहीं न कहीं समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ एक संघर्ष की शुरुआत हो सकता है।

जवाहरके गाँव की पंचायत का यह निर्णय समाज में एक नया बदलाव ला सकता है। अगर इस प्रस्ताव को सही तरीके से लागू किया जाता है, तो यह गाँव के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने में मददगार साबित हो सकता है। वहीं, पंचायत के नशे के खिलाफ फैसले से भी इस दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव की उम्मीद की जा रही है।

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